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Monday, November 2, 2020

कोरोनाकाल में घटती एंटीबॉडी से घबराएं नहीं, जरूरत पड़ने पर शरीर दोबारा बना सकता है; रिसर्च में भी लगी मुहर

कोरोना वायरस से उबरने के बाद शरीर उसके खिलाफ एंटीबॉडीज बना लेता है। लेकिन सवाल यह है कि यह एंटीबॉडी कब तक कारगर रहती है। शुरुआती रिसर्च में सामने आया था कि एंटीबॉडीज कुछ समय बाद घटने लगती हैं। अब वैज्ञानिकों ने कहा है कि घटती एंटबॉडी से घबराने की जरूरत नहीं है। एंटीबॉडीज इसलिए घटती हैं, क्योंकि शरीर को उनकी तत्काल जरूरत नहीं होती। इम्यूनिटी सेल्स वायरस को याद रखती हैं, इसलिए जरूरत के वक्त दोबारा एंटीबॉडीज बना सकती हैं। नई रिसर्च में एंटीबॉडी पर कौन सी बातें सामने आई हैं, Q&A से जानिए।

Q. क्या एंटीबॉडी से ही इम्यून सिस्टम का अंदाजा लगा सकते हैं? कब तक असरदार रहती हैं हमारे शरीर की एंटबॉडीज?

A. एंटीबॉडी पर हुए कई सारे अध्ययन बताते हैं कि शुरुआत में कुछ कमी आने के बाद, इनका का स्तर कम से कम चार से सात महीने तक बरकरार रहता है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज में महामारी विशेषज्ञ डॉ. पॉल इलियॉट के मुताबिक, महज एंटीबॉडी ही हमारे इम्यून सिस्टम के बारे में नहीं बताती। एंटीबॉडीज, इम्यून सिस्टम का सिर्फ एक हिस्सा है, जिसे हम माप सकते हैं। बाकी इम्यून सिस्टम के तीन ऐसे हिस्से भी हैं, जो बीमारी को दूर रखने में मदद करते हैं।

किसी बैक्टीरिया या वायरस के शरीर में घुसने पर इम्यून सिस्टम ही एंटीबॉडी बनाता है, यह उन घुसपैठियों की पहचान करता है। जब संक्रमण खत्म हो जाता है, तो इसका स्तर भी कम हो जाता है।

Q. एंटीबॉडी घटने का सबसे ज्यादा असर किन पर?
ब्रिटेन में साढ़े तीन लाख लोगों पर तीन राउंड के एंटीबॉडी टेस्ट किए गए, ये टेस्ट 20 जून से 28 सितंबर के बीच किए गए। तीन महीनों के दौरान पता लगाने योग्य (डिटेक्टेबल) एंटीबॉडी का स्तर इन लोगों में 6 प्रतिशत से 4.8% रह गया। एंटीबॉडी की सबसे कम गिरावट 18 से 24 की उम्र के लोगों में रही, वहीं सबसे ज्यादा कमी 75 साल से ज्यादा के लोगों में देखी गई।

Q. ब्रिटेन में पिछले 3 महीनों में कोरोना की एंटीबॉडी (डिटेक्टेबल) वाले लोगों का अनुपात 27% तक गिर गया, क्या इम्यूनिटी कम समय तक रहती है?
A. कई विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण मुक्त होने के बाद शरीर में एंटीबॉडी का कम होना बेहद सामान्य है, ये इम्यूनिटी सेल्स वायरस को अपनी मेमोरी में रखती हैं और जरूरत होने पर ताजी एंटीबॉडी बना सकती हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. स्कॉट हेन्स्ले के मुताबिक, पूरी तरह संक्रमण मुक्त होने के बाद शरीर में एंटीबॉडी कम होने का मतलब है कि व्यक्ति का रोग प्रतिरक्षा तंत्र सही काम कर रहा है। लंबे समय तक एंटीबॉडी ना होने का मतलब यह नहीं कि लंबे समय तक उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया।

Q. क्या होती है एंटीबॉडी?

A. ये प्रोटीन से बनीं खास तरह की इम्यून कोशिकाएं होती हैं जिसे बी-लिम्फोसाइट कहते हैं। जब भी शरीर में कोई बाहरी चीज (फॉरेन बॉडीज) पहुंचती है तो ये अलर्ट हो जाती हैं। बैक्टीरिया या वायरस के विषैले पदार्थों को निष्क्रिय करने का काम यही एंटीबॉडीज करती हैं। इस तरह ये शरीर को प्रतिरक्षा देकर हर तरह के रोगाणुओं के असर को बेअसर करती हैं।

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