आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार आज श्री बटुक भैरव की जयंती भी है | अतः आज बटुक भैरव की उपासना करना चाहिए। दरअसल भैरव के तीन रूप हैं- बटुक भैरव, स्वर्णाकर्षण भैरव और काल भैरव | इनमें से बटुक भैरव सतोगुणी हैं | बटुक भैरव जी को बेसन के लड्डू का भोग लगता है | इनकी साधना से व्यक्ति को हर तरह के सुख-साधन प्राप्त होते हैं | साथ ही अज्ञात भय से छुटकारा मिलता है |
रूद्रयामल तंत्र में बटुक भैरव की साधना के लिए 21 अक्षरों का मंत्र भी बताया गया है | वो मंत्र इस प्रकार है-
ऊँ ह्रीं बटुकाय आपद उद्धारणाय कुरू कुरु बटुकाय ह्रीम्
मंदिर में स्थापित करें ये यंत्र
रूद्रयामल तंत्र के अनुसार इस मंत्र का पुरश्चरण एक लाख जप है, लेकिन आज बटुक बैरव जयंती के दिन अगर आप इस मंत्र का 108 बार भी जप करेंगे, तो आपको लाभ जरूर मिलेगा| मंत्र जाप से पहले बटुक भैरव के यंत्र की स्थापना भी जरूर करनी चाहिए | इससे आपके कामों की सफलता सुनिश्चित होगी | आप इस यंत्र को स्वयं बना सकते हैं या फिर बना बनाया यंत्र किसी साधक से भी प्राप्त कर सकते हैं। यंत्र की स्थापना आप अपने मंदिर में कर सकते हैं |
यंत्र को मंदिर में स्थापित करने के बाद उसके अपने बाएं हाथ याने लेफ्ट साइड मे देसी घी का मिट्टी का दीपक जलावें और अपने राइट साइड यानि दाहिने हाथ की तरफ तिल के तेल का दीपक जलावें | देसी घी में खड़ी बत्ती लगानी चाहिए और तिल के तेल के दीपक में पड़ी हुयी बत्ती लगानी चाहिए | इस प्रकार दीपक जलाने के बाद यंत्र पर पुष्प चढ़ाने चाहिए | आपको यहां बता दूं कि भैरवनाथ को लाल रंग के फूल चढ़ाने चाहिए | इस प्रकार यंत्र की पूजा आदि के बाद लाल रंग के वस्त्र पहनकर, संभव हो तो लाल रंग के आसन पर बैठकर और माथे पर लाल तिलक लगाकर बटुक भैरव के मंत्र का जाप करना चाहिए | दरअसल नियम है कि- देव भूत्वा देव यजेत् । यानी कि देवता बनकर देवता की उपासना करनी चाहिए | इससे सिद्धि प्राप्त करने में आसानी होती है |
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