डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, कोरोना वायरस से बचाव का एक तरीका है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन - IVX Times

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Tuesday, May 19, 2020

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, कोरोना वायरस से बचाव का एक तरीका है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन

US President Donald Trump defends use of hydroxychloroquine, says got bad reputation as he was promoting it. Image Source : AP FILE

वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन लेने के लिए हो रही आलोचना पर अपने जवाब में इसे कोरोना वायरस के ‘बचाव का एक तरीका’ बताया है। ट्रंप ने खुलासा किया था कि वह इस जानलेवा संक्रमण से बचने के लिए यह दवा ले रहे हैं। इसके एक दिन बाद उन्होंने व्हाइट हाउस में कहा, ‘मुझे लगता है कि यह बचाव का एक तरीक है और मैं कुछ और समय तक इसे लेता रहूंगा। यह काफी सुरक्षित लगती है।’

‘दवा की खराब छवि मेरे प्रचार के चलते बनाई गई’

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इस दवा की खराब छवि इसलिए बनाई गई क्योंकि ‘वह इसका प्रचार कर रहे थे।’ उन्होंने कहा, ‘जाहिर तौर पर मैं बहुत खराब प्रचारक हूं। अगर कोई और इसका प्रचार कर रहा होता तो वे कहते कि यह बहुत अच्छी दवा है। मुझे लगता है कि यह बहुत कारगर दवा है और यह आपको नुकसान नहीं पहुंचाती और संभवत: यह अच्छी होगी और मुझ पर इसका कोई खराब असर नहीं पड़ा।’ उन्होंने कहा कि मलेरिया के इलाज में काम आने वाली इस दवा पर दुनियाभर के डॉक्टरों ने अच्छी प्रतिक्रिया दी है।

ट्रंप का दावा, कई देशों में हुए बड़े-बड़े अध्ययन
ट्रंप ने दावा किया कि इटली, फ्रांस और स्पेन जैसे देशों में इसके बारे में बड़े-बड़े अध्ययन हुए हैं और अमेरिका में डॉक्टर इसे लेकर काफी आशावान हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि यह दवा किफायती है। उन्होंने कहा, ‘एक गलत अध्ययन किया गया जहां डॉक्टरों ने बहुत बीमार, बहुत ही ज्यादा बीमार लोगों को यह दवा दी जो पहले ही मरने की कगार पर थे।’ वहीं उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने एक अलग इंटरव्यू में बताया कि वह हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन नहीं ले रहे हैं।

विपक्षी नेताओं ने की है ट्रंप की आलोचना
बहरहाल विपक्षी नेताओं ने ऐसी दवा लेने के लिए ट्रंप की आलोचना की है जिसकी प्रमाणिकता अभी सिद्ध भी नहीं हुई है। गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की करोड़ों गोलियां खरीदी थीं। भारत ने अमेरिका को इसकी करोड़ों गोलियां भेजी थीं। भारत इस दवा के प्रमुख उत्पादकों में से एक है।



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