पेशावर | पाकिस्तान की मनोरम स्वात घाटी में एक बार फिर आतंकवाद अपना सिर उठा रहा है। एक दशक की अपेक्षाकृत शांति के बाद घाटी में एक बार फिर आतंकवादियों की सक्रियता दिख रही है। पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान द्वारा एक-दूसरे के देश में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में मददगार होने के आरोपों के बीच खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर स्वात घाटी में आतंकियों की सक्रियता को पाकिस्तानी अधिकारियों ने अफगानिस्तान से जोड़ने में कोई देर नहीं की है।
खबैर पख्तूनख्वा प्रांत के पुलिस प्रमुख डॉ. सनाउल्लाह अब्बासी ने 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' से कहा कि 'अफगानिस्तान में प्रशिक्षित आतंकी' स्वात में एक दशक के बाद एक बार फिर से संगठित हो रहे हैं। साल 2009 में विद्रोह को समाप्त करने के लिए शुरू किए गए पाकिस्तानी सैन्य अभियान 'राह-ए-रास्त' के बाद यह आतंकी 'पड़ोसी देश (अफगानिस्तान) भाग गए थे।'
प्रांत के पुलिस प्रमुख ने कहा, "हाल में स्वात में लक्ष्य बनाकर की गई हत्याओं के मामले में गिरफ्तार चार आतंकवादियों ने पूछताछ में बताया कि उन्हें अफगानिस्तान में प्रशिक्षित किया गया था।
पुलिस अधिकारी ने यह भी दावा किया कि आतंकियों ने अफगानिस्तान से मलाकंड में घुसपैठ की कोशिश की थी जिसे सुरक्षा एजेंसियों ने नाकाम कर दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि पेशावर व अन्य जगह के कारोबारियों को अफगास्तिान स्थित फोन नंबरों से काल कर फिरौती मांगी जा रही है। उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल अस्वीकार्य है।'
गौरतलब है कि पाकिस्तान अतीत में भी ऐसे इलजाम अफगानिस्तान पर लगाता रहा है और अफगानिस्तान ने हमेशा इन्हें गलत बताया है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की पश्तून आबादी पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ लोहा लेती रही है। इनका आरोप रहा है कि आतंकवाद को कुचलने के नाम पर पश्तूनों के मानवाधिकारों का बुरी तरह से हनन होता है।
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