इलाज के बाद कोरोना से रिकवर होने वाले मरीजों की हफ्तों बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इनसे संक्रमण नहीं फैल सकता। यह दावा साउथ कोरिया के शोधकर्ताओं ने किया है। कोरिया के सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिकों ने ऐसे 285 कोरोना सर्वाइवर पर रिसर्च की जो इलाज के बाद पॉजिटिव मिले थे।
लैब में नहीं विकसित हुआ वायरस
शोधकर्ताओं के मुताबिक, मरीजों में इलाज के बाद जो रिपोर्ट पॉजिटिव आई है उसका कारण शरीर में मौजूद कोरोनावायरस के मृत कण हो सकते हैं। इससे किसी को संक्रमण नहीं फैलता। ऐसे मरीजों में से वायरस का सैम्पल लिया गया। लैब में उसमें किसी तरह का विकास नहीं दिखा और साबित हुआ कि असंक्रमितकण हैं।
285 सैम्पल का पीसीआर टेस्ट हुआ
शोधकर्ताओं का कहना है कि 285 मरीजों के सैम्पल में कोरोनावायरस के न्यूक्लिक एसिड की पुष्टि के लिए पीसीआर टेस्ट किया गया। जांच के जरिए यह समझने की कोशिश की गई कि दोबारा पॉजिटिव आने वाले मरीजों में वायरस जिंदा है या उसका कोई हिस्सा है। रिसर्च में साबित हुआ कि पॉजिटिव आने वाले मरीजों में वायरस संक्रमण फैलाने के लिए सक्रिय नहीं होता।
बदली साउथ कोरिया की गाइडलाइन
साउथ कोरिया के अधिकारियों का कहना है कि बदली हुई गाइडलाइन के मुताबिक, अब रिकवर हो चुके लोगों को स्कूल या ऑफिस जॉइन करने से पहले निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट दिखाना जरूरी नहीं होगा। कोरिया के सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (केसीडीसी) के मुताबिक, अब आइसोलेशन के बाद लोगों को किसी तरह का टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है।
82 दिनों में दोबारा रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है
सरकारी स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक, संक्रमण के 82 दिनों तक कुछ ही मरीजों की रिपोर्ट दोबारा पॉजिटिव आ सकती है। लगभग सभी मामलों में कोरोना सर्वाइवर के शरीर में वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी विकसित हो जाती है। ब्लड टेस्ट में इसकी पुष्टि भी हुई है।
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