बीजिंग: चीन ने गुरुवार को कहा कि बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भी उसके संबंध पाकिस्तान के साथ ‘चट्टान की तरह मजबूत’ बने हुए हैं। दोनों पड़ोसी मित्र देशों के राजनयिक संबंधों की स्थापना के 69 वर्ष पूरे हुए हैं। पाकिस्तान ने 1951 में चीन को मान्यता दी थी। भारत ने उससे एक साल पहले ही चीन को मान्यता प्रदान कर दी थी। भारत एशिया का पहला गैर-कम्युनिस्ट देश था जिसने 1950 में चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान के राजनयिक संबंध भले ही देर से स्थापित हुए लेकिन बाद में वह कम्युनिस्ट चीन का सबसे करीबी सहयोगी बन गया।
हाल के वर्षों में 60 अरब अमेरिकी डालर के साथ चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के साथ दोनों देशों के संबंध और प्रगाढ़ हुए हैं। यह चीन द्वारा विदेश में किया गया सबसे बड़ा निवेश है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने गुरुवार को कहा, ‘आज चीन और पाकिस्तान के राजनयिक संबंधों की 69 वीं वर्षगांठ है। मैं बधाई देता हूं। हमारे बीच सहयोगात्मक सामरिक भागीदारी है। पिछले 69 वर्षों में बदलते अंतरराष्ट्रीय परिदृश्यों में भी यह संबंध कायम रहा और चट्टान की तरह मजबूत बना रहा।’ बता दें कि झाओ पहले इस्लामाबाद में चीन के उपराजदूत के रूप में काम कर चुके हैं।
उन्होंने कहा, ‘मुझे पाकिस्तान में काम करने का सौभाग्य मिला। देश छोड़ने से पहले, मैंने कहा था कि पाकिस्तान ने मेरा दिल चुरा लिया है। मेरा मानना है कि यह दोनों देशों के बीच गहरी मित्रता को दर्शाता है। भविष्य में, हमें द्विपक्षीय संबंधों के और बढ़ने का पूरा भरोसा है। हम पाकिस्तान को अपनी पड़ोस कूटनीति में प्राथमिकता देना जारी रखेंगे और उच्च गुणवत्ता वाले सीपीईसी विकास के लिए साथ मिलकर काम करते रहेंगे।’ भारत ने CPEC को लेकर चीन से विरोध जताया था क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है।
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