वैज्ञानिकों ने पहली बार इंसान की कोशिका से लैब में लिवर विकसित करके उसे सफलतापूर्वक चूहे में ट्रांसप्लांट किया है। लिवर तैयार करने वाली पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रक्रिया भविष्य में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की राह आसानी करेगी। शोधकर्ताओं का कहना है, यह मिनी लिवर दूसरे सामान्य लिवर की तरह काम करता है। यह भी बाइल एसिड और यूरिया रिलीज करता है।
ऐसे लैब में तैयार हुआ 'मिनी लिवर'
शोधकर्ताओं का कहना है कि मिनी लिवर को इंसान के डीएनए से विकसित किया गया है। इस तरह लैब में तैयार होने वाले इंसानी अंग उन डोनर का विकल्प बनेंगे जो अंगदान करते हैं। जरूरतमंद मरीजों में समय से अंग ट्रांसप्लांट किए जा सकेंगे। लैब में अलग-अलग तरह की लिवर तैयार किए जा सकेंगे।
लिवर रिजेक्शन का खतरा घटेगा
शोधकर्ताओं का कहना है यह प्रयोग सफल रहा है। आने वाले समय में जिस मरीज को अंग की जरूरत है उसी के डीएनए से नया लिवर विकसित किया जा सकेगा। ट्रांसप्लांट के बाद मरीज में अंग फेल होने का खतरा भी न के बराबर रहेगा। रिस्क घटेगा।
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