कोरोना वायरस के चलते पूरे देश के लॉकडाउन कर दिया गया था जिसके कारण हम अपने घरों में कैद हो गए, उद्योगों आदि को बंद कर दिया गया जिससे पर्यावरण एक बार फिर से हरा-भरा हो गया। लॉकडाउन के कारण प्रदूषण के स्तर में भी काफी कमी आई, आसमान साफ दिखने लगा, नादियों का जल बिल्कुल साफ हो गया जिसके बारे में शायद हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे। अगर आप चाहे तो यह हर एक चीज बिना लॉकडाउन के भी संभव है। जी हां वाहनों की आवाजाही और उद्योगों से निकला काला धुंआ जहां हवा को प्रदूषित करता है वहीं गंदा पानी नदियों में मिल जाता है जिसके कारण जल भी दूषित हो जाता है। अगर हम थोड़ा सा इस खूबसूरत प्रकृति को समझे और उसे महत्व दें तो आने वाले समय भी हमें प्रदूषण मुक्त हवा और पानी मिलेगा। बिना प्रकृति के हमारा जीवन ही असंभव है इसलिए इससे ताल बैठाना बहुत रही जरूरी है।
विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास
हर साल 5 जून को हम विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य है लोगों को पर्यावरण के प्रति सचेत करना। विश्व में लगातार प्रदूषण बढ़ा जा रहा है जिससे हमारे जीवन पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने 5 जून 1972 में इस दिवस की नींव रखी। जिसके बाद से हर साल इस दिन विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम पहली बार 1972 में मनाया गया था। जिसमें 119 देशों से भाग लिया था। इसके साथ ही पहली बार 1974 में अमेरिका के स्पोकेन में 'ओनली वन अर्थ' थीम के साथ मनाया गया था।

विश्व पर्यावरण दिवस 2020 थीम
विश्व पर्यावरण दिवस 2020 की थीम की बात करें तो वह है- 'प्रकृति के लिए समय (Time For Nature। पृथ्वी और मानव विकास पर जीवन का समर्थन करने वाले आवश्यक बुनियादी ढांचे में प्रकृति का क्या रोल है इसमें ध्यान केंद्रित करना।

विश्व पर्यावरण दिवस के कोट्स
मैं खुश हूं कि मैं ऐसे भविष्य में, युवा नहीं होऊंगा जिसमे जंगल ना हों।- आल्डो लियोपोल्ड
पक्षी पर्यावरण के संकेतक हैं। यदि वे खतरे में हैं तो हम जानते हैं कि हम भी जल्द ही खतरे में होंगे।- रोजर टोरी पीटरसन
पृथ्वी के सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरा करने के लिए नहीं।- महात्मा गांधी
हम दुनिया के जंगलों के लिए क्या कर रहे हैं, लेकिन दर्पण हमें दिखलाता हैं कि हम अपने और एक दूसरे के लिए क्या कर रहे हैं- महात्मा गांधी
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