कोरोना काल के कारण इस साल नाग पंचमी के खास मौके पर मंदिरों में खास इंतजाम किया गया। महाकाल की नगरी उज्जैन में नाग पंचमी का पर्व मनाया गया। इस खास मौके पर कोरोना के गाइडलाइन का पालन करते हुए मनाया जा रहा है।
महाकालेश्वर मंदिर में स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर के पट परंपरानुसार रात्रि 12 बजे खोल दिए गए। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत ने भगवान नागचंद्रेश्वर का पूजन अर्चना की। जिसके बाद मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
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आपको बता दें कि नागचन्द्रेश्वर मन्दिर का पट हर साल नागपंचमी के ही खोले जाते हैं। जोकि सिर्फ 24 घंटे तक ही खुला रहता है। हालांकि इस साला कोरोना काल के कारण मंदिर में श्रद्धालुओ के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अगर आपको दर्शन करने हैं तो इसके लिए मंदिर की वेबसाइट, यूट्यूब, फेसबुक, लोकल चैनल व सोशल मीडिया के द्वारा ही कर सकते हैं।
Madhya Pradesh: Priests offer prayers at Nagchandreshwar Temple on the occasion of 'Naag Panchami'. The priest says, "The doors of this temple are opened once in a year. This year due to #COVID19, devotees can do online darshan for 24 hours." pic.twitter.com/36qmWn9hri
— ANI (@ANI) July 25, 2020
जानिए नागचंद्रेश्वर मंदिर के बारे में खास बातें
विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन की महत्ता हे। यहां महाकाल मंदिर के शीर्ष पर तृतीय माले पर भगवान नागचंद्रेश्वर का अति प्राचीन मंदिर हे। इस मंदिर में नाग पर विराजत शिव पार्वती की अति दुर्लब प्रतिमा हे। मान्यता है कि मंदिर में नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा के दर्शन और पूजन से शिव पार्वती दोनों ही प्रसन्न होते हे साथ ही सर्प भय से भी मुक्ति मिलती है।
नागपंचमी पर नाग को दूध पिलाने की भी परंपरा है इसलिए पूजन अर्चना के दौरान महंत द्वारा नाग की प्रतिमा पर दूध चढाया गया। उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मन्दिर में स्थित मूर्ति 11वीं शताब्दी के परमार काल की है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित प्रतिमा में शेषनाग की शैय्या पर भगवान शिव तथा पार्वती के साथ भगवान गणेश और कार्तिक भी विराजित है। बताया जाता है की यह प्रतिमा नेपाल से लाई गई थी।
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