Nag Panchami 2020: 25 जुलाई को नाग पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा - IVX Times

Latest

Friday, July 24, 2020

Nag Panchami 2020: 25 जुलाई को नाग पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

नाग पंचमी 2020 Image Source : INSTAGRAM/MYJYOTISHOFFICIAL

श्रावण शुक्ल पक्ष की उदया तिथि पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाने का विधान है। नागपंचमी श्रावण के महीने में पड़ने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। नागपंचमी  के दिन नागों की पूजा करने का विधान है। नागपंचमी का ये त्योहार सर्प दंश के भय से मुक्ति पाने के लिये और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए, राहु कृत पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए मनाया जाता है। जानिए नाग पचंमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा। 

नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त

नाग पंचमी तिथि प्रारम्भ- 24 जुलाई दोपहर 2 बजकर 34 मिनट से

नाग पंचमी समाप्त: 25 जुलाई दोपहर 12 बजकर 3 मिनट तक। 

Nag Panchami 2020: 25 जुलाई को है नाग पंचमी, जानें इस दिन का महत्व और क्यों नाग देवता को पिलाया जाता है दूध

नाग पंचमी की पूजा विधि

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार दक्षिण भारत में श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी को, यानी कि आज के दिन लकड़ी की चौकी पर लाल चन्दन से सर्प बनाये जाते हैं या मिट्टी के पीले या काले रंगों के सांपों की प्रतिमाएं बनायी या खरीदी जाती हैं और उनकी दूध से पूजा की जाती है। कई घरों में दीवार पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर उस दिवार पर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे एक घर की आकृति बनाई जाती है और उसके अन्दर नागों की आकृति बनाकर उनकी पूजा की जाती है। साथ ही कुछ लोग घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ हल्दी से, चंदन की स्याही से अथवा गोबर से नाग की आकृति बनाकर उनकी पूजा करते हैं। 

अपने अनुसार घर में नाग देवता को बनाकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद नाग देवता को याद करके जल, पुष्प, चंदन आदि का अर्द्ध दें। इसके बाद घी, दूध, चीनी और शहद का पंचामृत बनानकर नाग देवता को स्नान कराएं। इसके बाद चंदन और गंध युक्त जल से स्नान कराए। इसके बाद नाग देवता को हल्दी, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, फूल माला, पान का पत्ता, फल आदि चढ़ाए। इसके बाद भोग में लड्डू या मालपुए चढ़ाएं। इसके बाद जल अर्पण करके दीपक और धूप जलाकर आरती करें। इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करें- 'ऊं कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा'

शाम के समय नाग देवता की फिर से पूजा करके अपने व्रत को तोड़कर फलाहार ग्रहण करें। 

दुनिया का सबसे दौलतमंद मंदिर है पद्मानाभस्वामी मंदिर, क्या है सातवें दरवाजे का रहस्य

नाग पंचमी कथा

नाग पंचमी को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। जिसमें से 2 कथाओं के बारे में बता रहे हैं।

किसी राज्य में एक किसान अपने दो पुत्र और एक पुत्री के साथ रहता था। एक दिन खेतों में हल चलाते समय किसान के हल के नीचे आने से नाग के तीन बच्चे मर गयें। नाग के मर जाने पर नागिन ने शुरु में विलाप कर दु:ख प्रकट किया फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का विचार बनाया। रात्रि के अंधकार में नागिन ने किसान व उसकी पत्नी सहित दोनों लडकों को डस लिया। अगले दिन प्रात: किसान की पुत्री को डसने के लिये नागिन फिर चली तो किसान की कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया। और नागिन से वह हाथ जोडकर क्षमा मांगले लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाईयों को पुन: जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। उस दिन से नागों के कोप से बचने के लिये इस दिन नागों की पूजा की जाती है। और नाग -पंचमी का पर्व मनाया जाता है।

दूसरी कथा

एक राजा के सात पुत्र थे, सभी का विवाह हो चुका था। उनमें से छ: पुत्रों के यहां संतान भी जन्म ले चुकी थी, परन्तु सबसे छोटे की संतान प्राप्ति की इच्छा अभी पूरी नहीं हुई थी। संतानहीन होने के कारण उन दोनों को घर -समाज में तानों का सामना करना पडता था। समाज की बातों से उसकी पत्नी परेशान हो जाती थी। परन्तु पति यही कहकर समझाता था, कि संतान होना या न होना तो भाग्य के अधीन है। इसी प्रकार उनकी जिन्दगी के दिन किसी तरह से संतान की प्रतिक्षा करते हुए गुजर रहे थें। एक दिन श्रवण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। इस तिथि से पूर्व कि रात्रिं में उसे रात में स्वप्न में पांच नाग दिखाई दिये। उनमें से एक ने कहा की अरी पुत्री, कल नागपंचमी है, इस दिन तू अगर पूजन करें, तो तुझे संतान की प्राप्ति हो सकती है। प्रात: उसने यह स्वप्न अपने पति को सुनाया, पति ने कहा कि जैसे स्वप्न में देखा है, उसी के अनुसार नागों का पूजन कर देना। उसने उस दिन व्रत कर नागों का पूजन किया, और समय आने पर उसे संतान सुख की प्राप्ति हुई।



Thanks for reading.
Please Share, Comment, Like the post And Follow, Subscribe IVX Times.
fromSource

No comments:

Post a Comment