कोरोनावायरस धीरे-धीरे संक्रमण का नया रास्ता तलाश रहा है और अलग-अलग तरह सेजोखिम बढ़ा रहा है। नई रिसर्च से पता चला है कि फेफड़ों के बादअब यह आंताें के जरिए आंतों में घुसने लगाहै। संक्रमण के बाद रक्त के थक्के जम रहे हैं जो किडनी, लिवर, हार्ट और फेफड़ों के लिए जानलेवा बन रहे हैं। इसके अलावा ऑक्सीजन का 'हैप्पी हाइपोक्सिया' स्तर डॉक्टरों के लिए पहेली बन गया है।
कोरोना के ऐसे ही तीन नए खतरे जिनसेमरीज ही नहीं डॉक्टर और वैज्ञानिक भीजूझ रहे हैं।
पहला खतरा : हैप्पी हायपॉक्सिया
- कोरोना मरीजों की एक नई मेडिकल कंडीशनडॉक्टरों के लिए रहस्य बन गई है। यह ऐसी स्थिति है जब कोरोना पीड़ित के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी गिर जाता है लेकिन फिर भी वह सामान्य नजर आता है। अपने करीबी लोगों से आराम से बातें करता रहता है।
- डॉक्टरों ने ऐसी स्थिति को'हैप्पी हाइपोक्सिया' (हाइपो का मतलब कमी)का नाम दिया गया है। एक्सपर्ट का कहना है कि यह अजीब सीअवस्थामरीज की मौत का कारण बन सकती है।ब्रिटेन के मैनचेस्टर रॉयल इनफरमरी हॉस्पिटल के एनेस्थिशियोलॉजिस्ट डॉ. जोनाथन स्मिथ का कहना है कि कोरोना में हाइपॉक्सिया (ऑक्सीजन में कमी) के मामले काफी पेचीदा हैं।
- एक स्वस्थ इंसान में कम से कम ऑक्सीजन का स्तर 95 फीसदी होता है लेकिन कोरोना के जो मामले सामने आ रहे हैं उनमें यह स्तर 70 से 80 फीसदी है। कुछ में तोयह 50 फीसदी से भी कम है। डॉ. जोनाथन के मुताबिक, फ्लू और इंफ्लुएंजा के मामलों में भी ऐसा नहीं देखा गया है।
- वैज्ञानिकों के मुताबिक, ऐसे मेंशरीर में ऑक्सीजन का स्तर घट रहा है और रिएक्शन के तौर पर कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है।यह स्थिति काफी घातक है। फेफड़ों में सूजन आने पर ऑक्सीजन आसानी से रक्त में नहीं मिल पाती हैऔर यह जानलेवा साबित हो सकता है।
दूसरा खतरा : पूरे शरीर में खूनके थक्के
- कोरोना का दूसरा खतरा रक्त के जानलेवा थक्कों से है, जो संक्रमण के बाद शरीर में बन रहे हैं। इसका असर दिमाग से लेकर पैर के अंगूठों तक हो रहा है। अमेरिका की ब्रॉउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि पिछले दो महीने से कोरोना संक्रमितों में त्वचा फटने, स्ट्रोक और रक्तधमनियों के डैमेज होने के मामले भी दिख रहे हैं।
- अमेरिका के रॉड आइलैंड हॉस्पिटल की डायरेक्टर लेवी के मुताबिक, रक्त के थक्कों का जो असर बीमारी पर देखा जा रहा है वह पहले कभी नहीं देखा गया। ऐसे ही खून के थक्के जमने के मामले 1918 में स्पेनिश फ्लू महामारी में भी देखे गए थे लेकिन कोरोना के मामले में यह बहुतगंभीर है।
- येल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मार्गेट पिसानी के मुताबिक, ऐसी स्थिति बनने पर खून में ऑक्सीजन का स्तर गिरता है। क्लॉटिंग डिसऑर्डर के मामले चीन में फरवरी में सामने आए थे लेकिन इसकी गंभीरता धीरे-धीरे सामने आ रही है।
- फ्रांस और नीदरलैंड्स के शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना से संक्रमित 30 फीसदी मरीज पल्मोनरी एम्बोलिज्म से जूझ रहे हैं। जिसमें फेफड़े तक रक्त पहुंचाने वाली धमनी ब्लॉक हो जाती है। इसकी वजह रक्त के थक्के हैं। जो कार्डियक अरेस्ट की वजह भी बन सकते हैं।
- शोधकर्ताओं के मुताबिक, थक्के जमने से शरीर के कई अंग डैमेज हो सकते हैं। इनमें हृदय, किडनी, लिवर और दूसरे अंग भी शामिल हैं। स्विटजरलैंड की ज्यूरिख यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना रक्तवाहिनियों को संक्रमित करके किसी भी अंग तक पहुंचकर जानलेवा बन सकता है।
- शोधकर्ता फ्रेंक रस्चिज्का के मुताबिक, यह रक्तवाहिनी की उपरी सतह पर हमला करता है, इस हिस्से को एंडोथिलियम कहते हैं। ऐसी स्थिति में शरीर में खून का प्रवाह घटता है और शरीर के किसी एक हिस्से में खून जमा होने लगता है और थक्का बन जाता है।
तीसरा खतरा: आंतों में पहुंचा वायरस
- कोरोना पीड़ितों में पेट दर्द, ऐंठन, डायरिया के मामले भी सामने आए हैं। नीदरलैंड्स के शोधकर्ताओं ने ताजा रिसर्च में इसकी वजह बताई है।
- इरेस्मस मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं का कहना है कोरोनावायरस इंसानों की आंत की झिल्ली की कोशिकाओंको भेदकर वहां अपनी संख्या (रेप्लिकेट) को बढ़ा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे यह फेफड़ों में करता है।
- साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, फेफड़े की तरह आंतभी कोरोना का लक्ष्य बनने लगी है। आमतौर पर कोरोना ACE2 रिसेप्टर एंजाइम को जकड़ कर फेफड़ों के अंदर घुसता है। यह एंजाइम ही इसके लिए मददगार साबित होता है। आंतों की एपिथिलियल कोशिकाओं में भी यह एंजाइम पाया जाता है इसलिए यहां भी संक्रमण फैलाता है।
- शोधकर्ताओं ने इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए इंसानी आंत की कोशिकाओं को निकालकर उनकाएक-एक हिस्सा 4 अलग-अलग स्थितियों में लैब में विकसित किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि सभी में भिन्न- भिन्नमात्रा में ACE2 रिसेप्टर एंजाइम मौजूद था जो कोरोना का पसंदीदा है।
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