कोरोनावायरस कहां से आया? इस गुत्थी को सुलझाने के लिए दुनिया और संस्थान चीन के पीछे पड़े हैं।तमाम बिखरी कड़ियों को जोड़ने की कोशिश हो रही हैं और अभी तक सारे क्लूज दो जानवरों- पैंगोलिन और चमगादड़ पर जाकर खत्म हो रहे हैं।
चीन की स्टडी में ही खुलासा
अब एक नई रिसर्च स्टडी में खुद चीनके वैज्ञानिक इस नतीजें पर पहुंचे हैं कि कोविड-19 महामारी का Sars-CoV-2 वायरस के पनपने में पैंगोलिन और चमगादड़ दोनों की भूमिका हो सकती है। इन वैज्ञानिकों को मिले नए सबूत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि इंसानों तक कोरोनावायरस के पहुंचने में मासूम सा नजर आने वाला पैंगोलिन इंटरमीडिएड होस्ट यानी बीच की कड़ी हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी मानना है कि जब तक यह न पता चले कि वायरस किस जीव से आया, तब तक वैक्सीन बनाने की दिशा में उठ रहे कदम कमजोर होंगे। बीते दिनों इस शीर्ष संस्था ने भी चमगादड़ की भूमिका को संदिग्ध बताया था।
जीन्स लेवल पर मिली 100% समानता
जर्नल नेचर में छपे कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन, साउथ चाइना एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के रिसर्च पेपर में पहली बार अपने दावे के पक्ष में ठोस सबूत दिए हैं। वैज्ञानिकों नेमलयन प्रजाति के पैंगोलिन और 4 विशेष जीन्स पर फोकस करके निष्कर्ष निकाले हैं। उन्हें पैंगोलिन में जो कोरावायरस ( पैंगोलिन-CoV) मिला है उसका अमीनो एसिड इंसानों में फैले वायरस के जेनेटिक मटेरियल यानी आरएनए से 100%, 98.6%, 97.8% और 90.7% समान है।
स्पाइक प्रोटीन से मिला क्लू
मलयन पैंगोलिन में मिले वायरस में कोशिकाओं पर आक्रमण करके उन्हें पकड़ने वाला स्पाइक प्रोटीन मिला है वह ठीक वैसा ही जिसका इस्तेमाल कोरोनावायरस इंसानों में कर रहा है। इसे विज्ञान की भाषा में रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन कहा जाता है।
वायरस की कड़ियों को जोड़ने में जीवों की जीनोम सीक्वेंसिंग यानी जेनेटिक मटेरियल को क्रम से लगाकर उसकी तुलना करना सबसे अहम प्रक्रिया है। इस नई स्टडी में इसी प्रक्रिया का इस्तेमाल करके वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पैंगोलिन-CoV की संरचना इंसान के SARS-CoV-2 और चमगादड़ के Sars-CoV RaTG13 नाम के वायरस के समान है।
एक अंतर ने समझ बढ़ाई
अभी तक यही माना जा रहा है कि चमगादड़ के इसी Sars-CoV RaTG13 से ही कोरोनावायरस SARS-CoV-2 पैदा हुआ है। केवल एक अंतर मिला है जो स्पाइकया S जीन का है। वैज्ञानिकों ने दो दिन पहले जब इसी अंतर पर फोकस किया तो समझ में आया कि ये कहीं न कहीं एक से दूसरे जानवरके शरीर में पहुंचा और वहां अपने आप को बदलकर एक नए रूप में पैदा हुआ है। यानि संभव है कि वायरस चमगादड़ से आया और पैंगोलिन के जरिये इंसानों में फैला।
मलयन पैंगोलिन की प्रमुख भूमिका
वायरस को सोर्स ढूंढ़ने के लिए चीनी वैज्ञानिक यह स्टडी पिछले साल से कर रहे हैं। इसके बारे में फरवरी के महीने में कुछ बातें सामने आई थीं। इसके मुताबिक उनकी टीम ने एक वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू सेंटर में चार चीनी पैंगोलिन और 25 मलयन पैंगोलिन पर यह स्टडी की। इसमें उनके फेफड़ों से टिश्यूज निकाले गए और उनमें वायरस की मौजूदगी का पता लगाया गया।
इसी क्रम में यह सामने आया कि 25 मलयन पैंगोलिनों में से 17 का आरएनए Sars-CoV-2 जैसे वायरसों के लिए पॉजिटिव है और उनमें धीरे धीरे कोरोना संक्रमण जैसे लक्षण भी सामने आए। इन जानवरों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी, वे धीरे धीरे शिथिल होकर पड़ गए और रोने-चिल्लाने लगे। बाद में 17 में से 14 पैंगोलिन मर गए।
पैंगोलिन और चमगादड़ दोनों एक जैसेनिशाचर
वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि चूंकि पैंगोलिन और चमगादड़ दोनों निशाचर जानवर हैं, दोनों ही कीड़े खाते हैं, और दुनियाभर में लगभग हर जगह फैले हुए हैं तो इसीलिए ये दोनों जानवर साझेदारी में सार्स परिवार के कोरोनावायरस के लिए आदर्श वाहक हैं और सबूत भी इसी ओर संकेत कर रहे हैं।
स्टडी में वैज्ञानिकों ने इस घटनाक्रम को भी स्पष्ट करते हुए लिखा है कि आमतौर पर बीमारी के कुदरती वाहक में उसके गंभीर लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन उससे यदि बीमारी किसी इंटरमीडिएट होस्ट जानवर में चली जाती है तो वह संक्रमण के क्लीनिकल लक्षण दिखाता है।
पैंगोलिन पर नजर रखें, तस्करी और मांस खानारोकें
इसी कारण वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में जोर देकर लिखा है कि पैंगोलिन दुनिया में सबसे ज्यादा तस्करी होने वाला जानवर है। हर देश की तस्करों की ये पहली पसंद है और यही बात दुनिया के लोगों के लिए खतरा भी है क्योंकि ये स्तनपायी चींटीखोर जानवर Sars-CoV-2 जैसे वायरसों का भी वाहक है। ऐसे में अगर इसकी तस्करी और व्यापार नहीं रुकता है तो भविष्य में भी कोरोनावायरस पूरी दुनिया में फैलता रहेगा।
इसी वजह से इस रिसर्च पेपर में दुनियाभर की सरकारों से कहा गया है कि उन्हें पैंगोलिन पर एक व्यस्थित ढंग से लम्बे समय तक निगरानी रखकर इस जानवर के अवैध शिकार, तस्करी और व्यापार पर सख्त प्रतिबंध लगा देने चाहिए। इसके मांस को खाने पर तो पूर्ण प्रतिबंध लगा देने की सिफारिश की गई है।
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