हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व है। ये महीना भगवान शिव का प्रिय महीना कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति भोलेनाथ की आराधना पूरी श्रद्धा से करता है उसकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। सावन के महीने में लोग भोले भंडारी को प्रसन्न करने के लिए घरों और मंदिरों में कई अनुष्ठान का आयोजन करते हैं जिसमें रुद्राभिषेक का खास महत्व है। रुद्राभिषेक अलग-अलग संकल्प के साथ किया जाता है। रुद्राभिषेक करने के अलावा लोग मंदिरों में शिवलिंग पर दूध भी चढ़ाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है भोलेनाथ को दूध के साथ गन्ने का रस चढ़ाना भी अच्छा होता है। शिव जी को गन्ने का रस बहुत पसंद है। इसका इस्तेमाल रुद्राभिषेक में भी किया जाता है। इसलिए अगर आप रोजाना इससे शिवलिंग पर चढ़ाएं तो आपको रुद्राभिषेक जैसा ही फल मिलेगा।
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रुद्राभिषेक करने से लाभ
- गन्ने के रस से अभिषेक करने पर धन में बढ़ोतरी होती है।
- शिवलिंग का जलाभिषेक करने से बारिश होती है।
- कुश घास की पत्तियों से युक्त जल से रुद्राभिषेक करें। ऐसा करने से रोगों से मुक्त मिलती है।
- शहद से रुद्राभिषेक करने पर पापों का नाश होता है।
- घी से रुद्राभिषेक करने पर वंश वृद्धि होती है।
- तीर्थ के जल से रुद्राभिषेक करने से मोक्ष मिलता है।
- रोगों से छुटकारा पाने के लिए इत्र का भी इस्तेमाल होता है।
- दूध से रुद्राभिषेक करने से पुत्र की प्राप्ति होती है।
- जय या फिर गंगाजल से रुद्राभिषेक करने से बुखार कम होता है।
- सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करने पर शत्रुओं का नाश होता है।
- चीनी से मिले दूध से रुद्राभिषेक करने पर बुद्धि तेज होती है।
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सावन में शिवशंकर की पूजा
सावन के माह में देवों के देव महादेव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।
भोलेनाथ का खुद करें ऐसे रुद्राभिषेक
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके ताजे विल्बपत्र लाएं।
- पांच या सात साबुत विल्बपत्र साफ पानी से धोएं और फिर उनमें चंदन छिड़कें या चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखें।
- इसके बाद तांबे के लोटे (पानी का पात्र) में जल या गंगाजल भरें और उसमें कुछ साबुत और साफ चावल डालें।
- अंत में लोटे के ऊपर विल्बपत्र और पुष्पादि रखें।
- विल्बपत्र और जल से भरा लोटा लेकर पास के शिव मंदिर में जाएं और वहां शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें।
- रुद्राभिषेक के दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप या भगवान शिव को कोई अन्य मंत्र का जाप करें।
- रुद्राभिषेक के बाद समय होता मंदिर परिसर में ही शिवचालीसा, रुद्राष्टक और तांडव स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं।
- मंदिर में पूजा करने बाद घर में पूजा-पाठ करें। घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूरी पूजन तैयारी के बाद निम्न मंत्र से संकल्प लें -
'मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमवार व्रतं करिष्ये'
इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें -
'ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समंतात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥
ध्यान के पश्चात 'ॐ नमः शिवाय' से शिवजी का तथा 'ॐ शिवाय नमः' से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें। पूजन के पश्चात व्रत कथा सुनें। उसके बाद आरती कर प्रसाद वितरण करें।
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