इस दिन है कामिका एकादशी, जानें पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा - IVX Times

Latest

Wednesday, July 8, 2020

इस दिन है कामिका एकादशी, जानें पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

Lord Vishnu - भगवान विष्णु  Image Source : INSTAGRAM/BHAKTI_ME_SHAKTI

श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस बार कामिका एकादशी 16 जुलाई, गुरुवार को है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। कहा जाता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता है भगवान विष्णु उसके सभी कष्टों को दूर कर देते हैं। इसके साथ ही इस दिन व्रत रखने से सारी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। जानिए कामिका एकादशी के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसकी कथा के बारे में। 

मनुष्य की वाणी में छिपी हैं ये दो चीजें, कंट्रोल न किया तो सब कुछ कर देगी तबाह

कामिका एकादशी का महत्व

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन विष्णु भगवान की पूजा-पाठ करने से सारे बिगड़े काम बन जाते हैं। व्रत के फलस्वरूप भगवान विष्णु की आराधना से उपासकों के साथ-साथ उनके पित्रों के भी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही पूजा करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कामिका एकादशी के दिन स्नान और दान दोनों का प्रावधान है। कहा जाता है कि कामिका एकादशी व्रत रखने से जो फल मिलता है वो अश्वमेघ यज्ञ के बराबर होता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु की पूजा करने से आराधक द्वारा गंधर्वों और नागों की पूजा भी संपन्न होती है।

इन दो चीजों की मनुष्य को कभी नहीं करनी चाहिए चिंता, वरना दांव पर लग जाता है वर्तमान भी

कामिका एकादशी का शुभ मुहूर्त
कामिक एकादशी 15 जुलाई को रात 10 बजकर 23 मिनट से आरंभ होगी और 16 जुलाई रात 11 बजकर 47 मिनट पर संपन्न होगी। 17 जुलाई को सुबह 5 बजकर 59 मिनट से 8 बजकर 10 के बाद व्रत का पारण किया जाएगा।

पूजन विधि

  • कामिका एकादशी तिथि पर सबसे पहले स्नान करें। 
  • स्नान करने के बाद श्री विष्णु के पूजन-क्रिया को प्रारंभ करें।
  • प्रभु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि निवेदित करें। 
  • आठों पहर निर्जल रहकर विष्णुजी के नाम का स्मरण करें और भजन-कीर्तन करें। 
  • इस दिन ब्राह्मण भोज एवं दान-दक्षिणा का विशेष महत्व होता है। अत: ब्राह्मण को भोज करवाकर दान-दक्षिणा सहित विदा करने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करें। 
  • विष्णु सहस्त्रनाम का जप करें। 

कामिका एकादशी की व्रत कथा
महाभारत काल में एक समय में कुंती पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण ने कहा, “हे भगवन, कृपा करके मुझे श्रावण कृष्ण एकादशी का नाम और महत्व बताइए। श्रीकृष्ण ने कहा कि हे युधिष्ठिर! इस एकादशी की कथा एक समय स्वयं ब्रह्माजी भी देवर्षि नारद से कह चुके है, अतः मैं भी तुमसे वहीं कहता हूं। नारदजी ने ब्रह्माजी से श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनने की इच्छा जताई थी| उस एकादशी का नाम, विधि और माहात्म्य जानना चाहा।

ब्रह्मा ने कहा- 'हे नारद! श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका एकादशी है। इस एकादशी व्रत को सुनने मात्र से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है। इस तिथि पर शंख, चक्र एवं गदाधारी श्रीविष्णुजी का पूजन होता है। उनकी पूजा करने से जो फल मिलता है सो सुनो।

गंगा, काशी, नैमिशारण्य और पुष्कर में स्नान करने से जो फल मिलता है, वह फल विष्णु भगवान के पूजन से भी मिलता है। सूर्य व चंद्र ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, भूमि दान करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में आने के समय गोदावरी और गंडकी नदी में स्नान से भी जो फल प्राप्त नहीं होता, वह प्रभु भक्ति और पूजन से प्राप्त होता है। पाप से भयभीत मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत से बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है। स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव कुयोनि में जन्म नहीं लेता। जो इस एकादशी पर श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करते हैं, वे इस समस्त पापों से दूर रहते हैं। हे नारद! मैं स्वयं श्रोहरी की प्रिय तुलसी को सदैव नमस्कार करता हूं। तुलसी के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और इसके स्पर्श से मनुष्य पवित्र हो जाता है।'



Thanks for reading.
Please Share, Comment, Like the post And Follow, Subscribe IVX Times.
fromSource

No comments:

Post a Comment