बीजिंग: दुनिया भर में अपनी कंपनियों के जरिए डाटा चोरी करवाने का आरोप झेल रहे चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर ऐसा ही आरोप लगाया है। चीन के मुताबिक, सन 1990 के दशक में निर्मित चीनी दूतावास के भवन में बड़ी मात्रा में श्रवण-यंत्र रखे हुए हैं। ड्रैगन का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया एक तरफ चीन को चेतावनी देकर सनसनी फैला रहा है, दूसरी तरफ उसकी जानकारी और डेटा चोरी कर रहा है। चीन का आरोप है कि ऑस्ट्रेलिया उसकी तरफदारी करने वाले अपने ही सांसदों की खुफिया जांच करवा रहा है।
चीनी मीडिया के मुताबिक, विश्लेषकों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया हमेशा अमेरिका की चीन विरोधी कार्यवाहियों का पंजा बनता रहा है। ऑस्ट्रेलियाई राजनेताओं के पीछे अमेरिका की छवि ही है। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच संयुक्त सुरक्षा संधि मौजूद है। ऑस्ट्रेलिया की सभी सरकारों ने अमेरिका के साथ गठबंधन संबंधों से अपनी रक्षा नीतियों की नींव के रूप में निपटा है। इधर के वर्षों में चीन की शक्तियां बढ़ने के चलते ऑस्ट्रेलिया के कुछ राजनेताओं ने स्वेच्छा से अमेरिका की चीन-विरोधी योजना में पात्र बनना शुरू किया है।
चीनी मीडिया का कहना है कि नए कोरोना वायरस महामारी के फैलाव से ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने वायरस के चीन के वुहान में निकलने का झूठ फैलाया। लेकिन इस निराधार रिपोर्ट का स्रोत अमेरिका के ऑस्ट्रेलिया स्थित दूतावास ही है। सिडनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ब्रेंडन थोमस-नूने ने अपने एक लेख में कहा कि ऑस्ट्रेलिया को चीन की रोकथाम नहीं, बल्कि चीन के साथ अधिक सहयोग करना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया को चीन के साथ व्यापार में भारी लाभ मिला है। चीन के साथ संबंधों को नष्ट करने से ऑस्ट्रेलिया को नुकसान पहुंचेगा।
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