आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में गुरुवार तड़के एलजी कम्पनी केकेमिकल प्लांट से जो गैस लीक हुई है उसका नाम स्टाइरीन(styrene) गैस है। पुलिस कमिशनर राजीव कुमार मीणा के मुताबिकशुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, प्लांट से स्टाइरीन गैस का रिसाव हो रहा था और इलाके के लोग अनजान थे। डॉक्टरों का कहना है कि स्टाइरीन एक न्यूरो-टॉक्सिन है और ये दम घोंटू गैस है जिससे सिर्फ दस मिनट में शरीर शिथिल पड़ जाता है और मौत हो जाती है।
मीठी गंध वाली स्टाइरीन गैस की केमेस्ट्री
स्टाइरीन एक आर्गनिक कम्पाउंड और इसे एथेनिल बेंजीन, विनाइल बेंजीन और फेनिलिथीन के रूप में भी जाना जाता है। इसका केमिकल फार्मूला C6H5CH = CH2 है। यह सबसे लोकप्रिय आर्गनिक सॉल्वेंट बेंजीन से पैदा हुआ पानी की तरह रंगहीन या हल्का सा पीला तैलीय तरल है और इसी से गैस निकलती है। यह तरह बड़ी आसानी से कमरे के तापमान पर गैस रूप में हवा में मिल जाता है और इसमें एक मीठी गंध होती है, हालांकि बहुत ज्यादा मात्रा में होने पर गंध दम घोंटने लगती है। स्टाइलिन से पॉलीस्टाइनिन और कई अन्य को-पोलिमर बनाए जाते हैं जो विभिन्न उत्पाद बनाने के काम आते हैं है।
स्टाइरीन में होता हैबहुलकीकरण
स्टाइरीन (styrene) एक रंगहीन तीव्र गंधवाला द्रव है। कुछ दिन रखने या 100 डिग्री सें. तक गरम करने पर, इसका बहुलकीकरण हो जाता है। पहले एक गाढ़ा द्रव प्राप्त होता है और अंत में एक स्वच्छ गंधहीन, चमकदार, ठोस पदार्थ प्राप्त हो जाता है, जिसेपॉलीस्टाइरीन(polystyrene) कहते हैं। इसे [(C6H5CH=CH2)n] सूत्र द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं, जहाँ परnकी संख्या हजारों में है। इस प्रकार स्टाइरीन के बहुलकीकरण में एक प्रतिशत से भी कम मात्रा में बेंज्यायल परॉक्साइड (benzoyl peroxide) मिला देने से कुछ मिनटों के अंदर हीपॉलीस्टाइरीनप्राप्त हो सकता है।
36 साल पुराने भोपाल गैस कांड की याद ताजा हुई
मध्यप्रदेश के भोपाल में अमेरिकी यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाना में 3 दिसंबर 1984 को 42 हजार किलो जहरीली गैस का रिसाव होने से करीब 15 हजार से अधिक लोगों की जान गई थी और लाखों प्रभावित हुए थे। यह गैस भी एक आर्गनिक कम्पाउंड से निकली मिथाइल आईसोसाइनेट या मिक गैस थी जो कीटनाशक और पॉली प्रॉडक्ट बनाने की काम आती है।
इतने साल के बाद भी इस गैस का असर पुराने भोपाल शहर के लोगों में देखा जा सकता है। हजारों लोग स्थायी अपंगता, कैंसर और नेत्रहीनता का शिकार हो गए। इस गैस ने अजन्में बच्चों तक को प्रभावित किया था। जहां विजाग प्लांट से निकली स्टाइरीन का रिएक्शन टाइम 10 मिनट का है, वहीं मिक गैस महज कुछ सेकंड में जान चली जाती है।
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