साल 2020 का तीसरा चंद्रग्रहण 5 जुलाई को लग रहा है। इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन ग्रहण लगने जा रहे है। जिसका असर हर राशि के जातकों पर पड़ेगा। ग्रहण के समय चन्द्रमा धनु राशि और सूर्य पूर्वाषाढा नक्षत्र में स्थित रहेगा। चंद्रमा केवल पृथ्वी की धूसर छाया होकर गुजरेगा। जिससे उसकी क्रांतिमलिन हो जायेगी। उसका केवल 35 प्रतिशत भाग ही पृथ्वी की धूसर छाया के अन्दर आयेगा। यह चंद्रग्रहण कितने बजे लगेगा, कहां-कहां पर लगेगा। जानिए इसके बारे में विस्तार से।
चंद्रग्रहण का समय
5 जुलाई को पड़ने वाले चंद्रग्रहण का स्पर्श काल की शुरुआत सुबह 8 बजकर 37 मिनट पर होगा। इसका मध्य काल सुबह 10 बजे होगा और इसका मोक्ष काल दोपहर पहले 11 बजकर 22 मिनट पर होगा। अतः इस ग्रहण का पर्वकाल 2 घंटे 45 मिनट का होगा।
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सूतक काल का समय
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार चंद्रग्रहण में सूतक ग्रहण प्रारंभ होने के 9 घंटे पहले लग जाता है। इसलिए 4 जून की देर रात 11 बजकर 37 मिनट पर शुरू हो जायेगा। आपको बता दें कि यह ग्रहण उपच्छाया ग्रहण है जो भारत में नहीं दिखाई देगी। इसके कारण सूतक काल का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कहां-कहां दिखेगा ये चंद्रग्रहण
यह ग्रहण उत्तर और दक्षिण अमेरिका, दक्षिण पश्चिम और दक्षिण अफ्रीका में ही दृश्य रहेगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा।
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क्या होता है उपच्छाया चंद्रग्रहण?
ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करती जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं। उपच्छाया चंद्रग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा धरती की वास्तवित छाया में न आकर उसकी उपच्छाया से ही वापस लौट जाता है। जिसके कारण चांद में एक धुंधली सी परत नजर आती है। वास्तविक चंद्रग्रहण की तरह की इस चंद्रग्रहण में भी आकार में कोई फर्क नहीं पड़ता है। बस चांद की रोशनी थोड़ी धुंधली हो जाती है। इसे सिर्फ उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं ना कि चंद्रग्रहण।
साल 2020 में पड़ने वाले चंद्रग्रहण
इस साल का पहला मांद्य चन्द्र ग्रहण 10 जनवरी को लगा था जो भारत में दृश्य था और दूसरा 5 जून को भी मांद्य चन्द्र ग्रहण था जो भारत में दृश्य नहीं था। इसके बाद 21 जून को कंकणाकृति सूर्य ग्रहण था जो भारत में दृश्य था। इसके बाद अब 5 जुलाई को साल का आखिरी चंद्रग्रहण लग रहा है।
गुरु पूर्णिमा और चंद्रग्रहण
इस बार पड़ने वाला चंद्रग्रहण गुरु पूर्णिमा के दिन पड़ रहा है। जो लगातार पिछले 3 सालों से पड़ रहा है।
चंद्रग्रहण के समय ध्यान रखें ये बातें
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार ग्रहण के दौरान चारों तरफ निगेटिविटी बहुत अधिक फैल जाती है, जिसका असर ग्रहण प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों पर भी पड़ता है। इसलिए सूतक लगने पर घर में सभी पानी के बर्तन में, दूध में और दही में कुश या तुलसी की पत्ती या दूब धोकर डालनी चाहिए और ग्रहण समाप्त होने के बाद दूब को निकालकर फेंक देना चाहिए।
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