एक्सपर्ट से समझिए- कोरोनाकाल में फेफड़े पंक्चर होने का मतलब क्या है और क्यों रीयूजेबल एन95 मास्क लगाने से बचना चाहिए? - IVX Times

Latest

Wednesday, September 16, 2020

एक्सपर्ट से समझिए- कोरोनाकाल में फेफड़े पंक्चर होने का मतलब क्या है और क्यों रीयूजेबल एन95 मास्क लगाने से बचना चाहिए?

हर 100 में से एक कोरोना सर्वाइवर में फेफड़े पंक्चर होने का मामला सामने आ रहा है। वैज्ञानिक भाषा में निमोथोरेक्स कहते हैं। यह क्या है और ऐसा क्यों हो रहा है, इसका जवाब इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. नरेंद्र सैनी ने दिया। डॉ. नरेंद्र कहते हैं, कोविड से ठीक होने वाले मरीजों में फेफड़े पंक्चर होने के कुछ मामले सामने आए हैं।

कुछ मरीजों में ऐसा पाया गया है कि फेफड़ों के अंदर की लेयर डैमेज होने के कारण हवा फेफड़े के ऊपरी कवर (प्ल्यूरा) में चली जाती है। निमोथोरेक्स के मामले कोरोना के उन मरीजों में पाए गए हैं जो पहले से अस्थमा, टीबी या सांस लेने की तकलीफ से जूझ रहे हैं।

कई बार कोरोना के मरीजों को रेस्‍प‍िरेट्री डिस्‍ट्रेस सिंड्रोम हो जाता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। वो जोर-जोर से सांस लेते हैं और अंदरूनी दबाव बढ़ जाता है। दबाव की वजह से फेफड़ों में छेद हो जाता है और हवा प्ल्यूरा के अंदर घुस जाती है। यह एक खतरनाक बीमारी है। समय पर इलाज न मिलने पर सांस रुक भी सकती है।

रीयूजेबल एन95 मास्क लगाने से बचें
इन दिनों एन95 मास्क को भी रीयूजेबल बता कर बेचा जा रहा है। इस पर डॉ. सैनी कहते हैं कि यह गलत है, इसे खरीदने से बचें। एन95 मास्क को दोबारा साफ करने का कोई तरीका अभी तक नहीं है। घर के बने मास्क तो पानी से धुलकर दोबारा इस्‍तेमाल कर सकते हैं, लेकिन एन95 को नहीं।

एक स्टडी की गई, जिसमें इसे एक बार पहनने के बाद पांच दिन बाद इसे वापस पहनने की सलाह दी गई। इसमें कहा गया कि अगर मास्क रख रहे हैं, तो अखबार में लपेट कर रख दें, ताकि उसमें नमी न जाए। ध्‍यान रहे, एन95 को धुल कर इस्‍तेमाल करना सुरक्षित है, इस बात के कोई वैज्ञानिक प्रमाण अब तक नहीं मिले हैं।

क्या है रिचार्जेबल मास्क

बाजार में इन दिनों नए तरह के मास्क आ रहे हैं। सर्जिकल, डिस्पोजल, एन95 के बाद अब रिचार्जेबल मास्क चर्चा में है। यह मास्क कैसे काम करता है, इस पर डॉ. नरेंद्र का कहना है, यह मास्क दो तरीकों से कीटाणुओं को रोकता है। पहला, इसके पोर्स बहुत छोटे होते हैं। इसे मैकेनिकल फिल्ट्रेशन कहते हैं। दूसरा, इसके अंदर इलेक्ट्रोस्टेटिक चार्ज होते हैं, जो कीटाणुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और बाहर ही रोक देते हैं।

ऐसे रिचार्जेबल मास्क इन दिनों चर्चा में हैं लेकिन ये अभी भारतीय बाजार में नहीं आए हैं।

इनमें इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। ऐसे मास्क जिनमें इस चार्ज को वापस प्रवाहित किया जा सके, वो रिचार्जेबल मास्क होते हैं। ये अभी लैब में बने हैं, बाजार में नहीं आएं हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Punctured Lungs in Coronavirus COVID Patients; All You Need To Know In Simple Words


Thanks for reading.
Please Share, Comment, Like the post And Follow, Subscribe IVX Times.
fromSource

No comments:

Post a Comment